Real Women's Place in India
आदिकाल से ही पुराणों में जिस भारतवर्ष के अस्तित्व की चर्चा है, उपनिषद जिस भारत की व्याख्या करते हैं क्या वह भारत महिलाओं के संदर्भ में सचमुच ही महान है या बस किताबो में ही महान है?? आइए मेरे चक्षुओं व विचारो के माध्यम से चर्चा करते हैं। आपके विचार व सुझाव भी विनम्रता पूर्वक आमंत्रित हैं। दरअसल हमारे भारत के भूगोल ने महिलाओं के संदर्भ में विचित्र इतिहास के कालखण्डों को जन्म दिया। मातृसत्तात्मक सिंधु सभ्यता के काल(5000 वर्ष पूर्व) मे जहां महिलाओं का सम्मान सर्वोच्च स्तर पर था वह उत्तरवर्ती समय मे लगातार कम होता गया, ऋग्वेदिक काल मे सिंधु सभ्यता की अपेक्षा महिलाओं की स्थितियो में कुछ गिरावटें अवश्य आयी पर फिर भी उनके पास सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक अधिकार कुछ हद तक मौजूद रहे। वे अपनी मर्जी से सामान्य व विधवा विवाह कर सकती थी, शिक्षा प्राप्त कर सकती थी, रोजगार धारण कर सकती थी, सभा समितियो में कार्यपालिका के अंतर्गत हिस्सा ले सकती थी, बहुविवाह प्रथा, सती प्रथा जैसी कुरीतियों का अस्तित्व नही था। पर पितृसत्तात्मक वैदिक काल(3000 वर्ष पूर्व) तक आते आते महिलाओं की स्थिति अत्यंत निम्न हो गयी और गुप्