पांच समस्याओं का बोलबाला
विगत कुछ दिनों से समाजिक तौर पर यह आकलन रहा है.... आज की मानवीय भावनाओं को देखकर कि हमारे देश कि प्रगति शीलता क्यों धीमी क्यों हैं.....? मामला बड़ा ही दिलचस्प और सीधा सा है या तो हम अन्तराष्ट्रीय स्तर पर किसी भी प्रकार की प्रतियोंगिता में चाहे फिर वह किसी भी क्षेत्र में कार्य कर रहे होते हैं उस सीमा तक या संतोषजनक नहीं पा रहे हैं, जैसा कि उम्मीदों के अनुसार होना चाहिये। पिछले दिनों एक चर्चित पत्रिका में हमारे देश भावी विद्वान के विषय में एक प्रेरणाश्रोत लेख छापा हुआ था..... उसमें जो भी वाक्यांश लिखे हुये थे वो वाक्यांश किसी और के नहीं बल्कि हमारे महामहिम राष्ट्रपति महोदय के वक्तव्यों का उल्लेख किया गया था.....जिसमें युवाओं को प्रेरित करने के लिये कहा गया था कि स्वामी विवेकानंद एक चमकते हुये तारे है, युवाओं के लिये उस वक्तव्य में यह संदेश साफ तौर पर दिख रहा था कि प्रत्येक इंसान को अपनी छाप छोड़नी चाहिये. .. आपके क्रिया कलापों से प्रभावित लोग आपको सराहे...। इस बात पर गौर किया जाये तो पूर्व महामहिम मुखर्जी जी कोई अकेले नहीं है जिन्होंने देशवासियों को स्वामी विवेकानंद जी की जीवनशैल...