आधुनिक भारत में शिक्षा का स्तर


भारत, जैसा की हम सब जानते हैं कि हमारा देश एक विकासशील देश है। हमारे देश की आबादी लगभग 2 अरब के समीप है। इतनी बड़ी जनसंख्या वाले देश को चलाने के लिये न केवल काबिलियत की जरूरत है बल्कि देश में शिक्षा का स्तर बढ़ाने की भी उतनी ही जरूरत है जितना की देश की हमारे देश की अपेक्षा  अन्य देशों में इसकी प्राथमिकता दी जाती है।
किसी भी क्षेत्र में आज कल शिक्षा का स्तर चरम सीमा पर होना बहुत जरूरी है अब बात यह है कि अगर हमारे देश में शिक्षा प्रणाली का कार्य संतोषजनक व सराहनीय है तो इस देश की अर्थव्यवस्था का पहिया इतना धीमा क्यों हैं....? है न दोस्तो चैका देने वाला सवाल.....जी हां इस बारे में सोचना न केवल एक इंसान का काम होता है बल्कि देश के हर उस नागरिक का कार्य है कि वह अपने देश व समाज के बारे में एक नये सुगठित वातावरण का निमार्ण हो सके...।

इसके लिये हम उन तथ्यों पर बात करेंगे जिसके माध्यम से किसी भी देश की आर्थिक स्थिति का जायजा लगाया जा सकता है।
समानता:- यह एक ऐसी स्थिति है जो समाज को पूर्णरूपेण विकसित करने के लिये अति आवश्यक है और हो भी क्यों न आखिर यहां देखा जाये तो समानता का मतलब सीधे शब्दों में अधिकारों का नियमित रूप से एक-दूसरे के प्रति पालन करने है....
हां ये अलग बात है कि आज के दौर में ऐसा नहीं हो पा रहा है। जिससे न केवल महिलाओं व कुछ पिछ़डे तबके के लोगों को भी समानता के अधिकार से आज भी वंचित किया जा रहा है।
 हमें जो भारत सोशल मीडिया या न्यूज चैनलों में दिखाया जाता है। वास्तव में भारत की सामाजिक वास्तविकता से न केवल उन परिस्थितियों से कोसो दूर है बल्कि इससे आर्थिक स्थितियों के आकलन को भी ठीक नजरिये से नहीं आंका जा सकता है।
 गांवों और कस्बों में आज भी महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार के लिये किसी भी प्रकार की कोई प्रणाली पूर्णरूपेण उपयोग में नहीं लायी जा सकी है और अगर है भी तो वो उन लोगों तक  पहुंचपाने में इतनी पारदर्शी नहीं है जिससे लोगों को इस बारे में पूर्णरूपेण जानकारी हो सके।
लिहाजा इन सब लोगों वरीयताओं के आभाव में न केवल हमारे समाज में महिलाओं व छोटे तबके के लोगों का बहिष्कार व उनके अधिकारों का हनन बड़ी क्रूर्रतापूर्वक किया जाता है। इन सभी बातों का आभाव है समानता का होना और अगर है उन सभी में पारदर्शिता का आभाव होना।
अशिक्षा:-  अर्थव्यवस्था को पूर्णरूपेण व सही तरीके से विकसित करने के लिये देश में शिक्षा का स्तर बेहतरीन होना चाहिये... लेकिन ऐसा नहीं है...। जिस प्रकार की शिक्षा प्रणाली का उपयोग किया जाता है वह पूर्णरूप से व्यवहारिक नहीं है। वास्तविक रूप से उन सभी चीजों के बारे में जानकारी दी जानी चाहिये जिससे आगे आने वाले समय में उसका पूर्ण उपयोग किया जा सके। बच्चों को टैक्नीकल चीजों के बारे में जानकारी दी जाये........ उन्हें उन सब चीजों के बारे में किताबी ज्ञान के साथ-साथ उन सभी चीजों का प्रयोग कराया जाय.. जिससे न केवल देश की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा प्रदान होगी साथ ही श्रम के क्षेत्र में भी बच्चों का आकर्षित होगा वे जान सकेंगे व अपनी रूचि के अनुसार अपने क्षेत्र को चुन सकंेगे।
कृषि क्षेत्रों मंे सुधार:- हमारे देश का किसान उतना शिक्षित नहीं है जितना अन्य देशों में यही हर कहीं लिखा होता है... जबकि हालात ऐसे हैं कि हम उन सभी चीजों पर बरीकी से ध्यान ही नहीं दे पा रहे होते हैं। जिससे वे उन सभी चीजों को समझ सके जिससे कि कृषि में सुधार लाया जा सके। हमारे कृषि विभाग से जो भी सुविधायें किसान भाइयों के लिये चलायी जाती है। उनकी भाषा उस तरह की नहीं है या कह सकते हैं कि उतना लचीलापन उनमें नहीं है जो एक आम किसान को समझ में आ सके।
समझ सकता हूं ये बात ठोड़ा अजीब लगेगी लेकिन हकीकत यही है.... कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां आज भी दो बैलों के सहारे ही मौसमी जलवायु पर आधारित कृषि आज भी किसान कर रहा है। ऐसे में हमारे देश की अर्थव्यवस्था की बढ़ोत्तरी की औपचारिकता की बनती...!
कुटीर धंधों का पतन- अगर हम बात करे कुटीर व्यवस्याओं की जो एक माध्यम श्रेणी का व्यक्ति करता है... जो अधिकतर कृषि पर आधारित होते हैं उन सभी कम्पनियों का व्यवसाय अब बड़ी कम्पनियों ने छीन लिया है। जिससे बहुत सारे लोग भुखमरी के कगार पर आ चुके है। उन लोगों के पास अपने व्यवसाय को चलाने के लिये न तो किसी भी प्रकार की शिक्षा का सहयोग है न ही सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं का लाभ की जानकारी है।
सीधे से अगर कहा जाये तो किसी भी क्षेत्र को बढा़ने से पहले प्रथम कृषि पर ध्यान देना अनिवार्य है। जिससे हमारे देश की अर्थव्यवस्था प्रगति कर सके और न केवल देश के आन्तरिक क्षेत्र में बल्कि विदेशों में भी बहु आयामी शाबित हो सके।
आगे आने वाली पीढ़ी को किताबी ज्ञान के साथ-साथ उन्हें टैक्नीकल चीजों के बारे में जानकारी दी जाये। जिससे वह अपनी रूचि के अनुसार अपने क्षे़त्र को चुन अपने देश के साथ-साथ अपना करियर स्थापित कर सके।
सत्या के.एस. राइटर

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